मेरा संघर्ष (हिटलर की आत्मकथा) by Abhishek Mani, IX B

ABHISHEK MANI, IX B

पुस्तक का नाम – मेरा संघर्ष (हिटलर की आत्मकथा)

अनुवादक- चारू सपरा व मीनू पसरीजा

मूल्य-१६०/-

प्रकाशक – न्यू साधना पॉकेट बुक्स दिल्ली

 

हिटलर को लोग बहुत बदनाम शासक समझते थे, परन्तु मेरा संघर्ष, अर्थात हिटलर

की आत्मकथा एक ऐसा ऐतेहासिक ग्रन्थ है जो लोगों की इस गलत धारणा को

गलत सिद्ध करता है. इस पुस्तक में हिटलर ने जर्मनी के दर्द और अपनी मानसिक

पीड़ा को प्रस्तुत किया है. हिटलर को विश्व मानवता का दुश्मन समझा जाता है,

परन्तु उसके चरित्र को ऊँचा उठाने में उसकी राष्ट्रवादी मनोवृति का विशेष योगदान रहा.

हिटलर की इस पुस्तक माईन काम्फ में राजनीती के स्वरुप राजनीतिज्ञों के

आचरण संसद की भूमिका शिक्षा के महत्व श्रमिको व सदारण जनमानस की

मानसिकता नौकरशाही भाग्य और प्रकृति मानवीय मूल्यों तथा सबसे बढकर

राष्ट्रीय भावना की महानता आदि का विवरण किया गया है. आज हमारे

समाज में अनेक ऐसी बुराइया विद्यमान है जो समाज को खोखला कर रही है.

यदि इन बुराइयों को जल्द ही नही रोका गया, तो इसमें कोई आस्चर्य की बात

नही की भारत में भी किसी हिटलर का जन्म होगा वह इस सब बुराइयों को जड़

से उखाड़  फेंकेगा. हिटलर की आत्मकथा को पढ़कर आज के युवाओ में राष्ट्रीयता

की भावना जागृत करना ही इस पुस्तक का मुख्य उदेश्य है.

अभिषेक मणि

कक्षा- नवीं (ब)

अनुक्रमांक- ०२

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